Sunday, May 17, 2015

मोदी सरकार का एक साल (क्या खोया, क्या पाया )

बात एक साल पहले की है जब हमारा देश हर तरीके की मुसीबत से जूझ रहा था। हमारा नाम दुनिया के सबसे भ्रष्ठ देशों में लिया जाता था। हमारी बहनें बेटियां सुरक्षित नहीं थी। नौजवानो के पास काम नहीं था और हमारा प्रधानमंत्री बोलता नहीं था। लोग बहुत दुखी थे और अपनी हर परेशानी के लिए सरकार को कोसते थे।

                                         पिछले साल, आज ही के दिन, हम लोगो ने नयी सरकार चुनी। भारत के लोकतंत्र के इतिहास में किसी भी सरकार को इतना बड़ा बहुमत नहीं मिला था। इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है की लोग पिछली सरकार से कितने दुखी थे।

खैर, बड़े बड़े वादों और सपनो को दिखाकर नरेंद्र मोदी हमारे नए प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने भाषणो में कहा कि वो भारत को भ्रष्टाचार मुक्त, महिलाओं के लिए सुरक्षित, किसान का साथी, विकासशील, प्रगतिशील और संस्कृति से जुड़ा हुआ देश बनाएंगे। ये भी वादा किया कि विदेशों में पड़ा काला धन भारत वापिस लाया जायेगा, वो भी केवल 100 दिन में। अब भरोसे से कहिये, या लालच में, देश के लोगो ने उन्हें एक मौका दिया। अब उनकी बारी थी भरोसा जीतने की। मोदी        सरकार ने नारा दिया था 'अच्छे दिन आने वाले हैं '

                                       26 मई से सरकार ने अपना काम शुरू किया। और पहले ही दिन मोदी जी ने एक कमेटी का गठन किया जो काले धन का पता लगाएगी। लोगो को लगा की सच में 100 दिन में देश का सारा काला धन देश में वापिस होगा और सबको 15-15 लाख रूपये मिलेंगे जैसा की मोदी जी ने अपने भाषणों में वादा किया था। तेल के दाम कम हो गए जो पिछली सरकार के समय में आसमान को छू रहे थे। ये तो सच में अच्छे दिनों की शुरुआत हो गयी थी। स्वच्छ भारत अभियान , राष्ट्रीय जान धन योजना, मेक इन इंडिया कैम्पेन से ऐसा लगा की देश की सारी गन्दगी साफ़ हो जाएगी और हम भी यूरोप के किसी देश की तरह दिखने लगेंगे, देश का युवक बेरोज़गार नहीं रहेगा और बैंक खाता खोलने का मतलब ये समझा गया कि 15-15 लाख रुपये आएंगे तो खाता तो चाहिए न।

बस जी अच्छे दिनों का सपना इतना ही था। अब सच्चाई से सामना करने का वक़्त था। देश में सांप्रदायिक माहौल गड़बड़ाने लगा। हिन्दुओं को छोड़कर सभी धर्म और जाति के लोगो पर हमले होने लगे। ईसाई चर्चों पे हमले के किस्से हम रोज़ ही सुनते हैं। आर.एस.एस और अन्य हिन्दू संगठनो के ताकत में आने से मुस्लिम भी डरे हुए हैं। दलितों की हालत भी बद से बत्तर हो गयी है।घर वापसी जैसे घटिया कार्यक्रम चला कर हिन्दू-मुसलमानो को भड़काया जा रहा है। 

विकास के नाम पर, स्मार्ट सिटी के नाम पर गरीब किसानो से ज़मीनें छीन कर उन चंद पूंजीपतियों को देने की तैयारी है जिन्होंने मोदी सरकार को बनाने में अपनी पूँजी लगायी थी। लैंड ऑर्डिनेंस बिल को पूरी तरह से किसान विरोधी बनाया गया। किसानो के आत्महत्या करने का सिलसिला जारी है। फसलों की बर्बादी का कोई मुआवज़ा सरकार ने अभी तक किसानो को नहीं दिया। 



देश में लड़कियों के रेप लगातार जारी हैं और सरकार खामोश है। कानून व्यवस्था सिर्फ अमीर लोगो की दासी बन कर रह गयी है। मोगा बस काण्ड और सलमान खान के केस में उनको जल्दी बेल मिल जाना इसके ताज़ा उदाहरण हैं। 






एक नया पैसा भारत में नहीं आया जिसको इस सरकार ने 100 दिन में लाने का सपना दिखाया था। अब पूछे जाने पर इनकी पार्टी के नेता कहते हैं कि काला धन लाना आसान काम नहीं है। हम तो जानते थे मोदी जी, आपने वादा क्यों किया था ? 







स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियाँ उड़ चुकी हैं। देश के पिछड़े इलाकों को छोड़ दीजिये, महानगरों में भी गन्दगी का बुरा हाल है। 






                                  मोदी जी पिछले 1 साल में ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, चीन और कई देशों का दौरा कर चुके हैं। कहा जा रहा है की मोदी जी वहां मेक इन इंडिया के नाम पर व्यापारियों और पूंजीपतियों को लुभाने के लिए ये दौरे कर रहे हैं। पर आज तक एक भी इन्वेस्टमेंट भारत में नहीं हो पाया है सर। देश में ये मज़ाक बनने लगा है की हमारे प्रधानमंत्री भारत कभी कभी आते हैं। जब घर की हालत ठीक नहीं, तो बाहर क्यों जा रहे हैं सर ? देश     

                                                                                         का बेरोज़गार नागरिक तो आज भी बेरोज़गार ही है।  


पेट्रोल और डीजल की कीमतें ज्यों की त्यों हो रही हैं।  दरअसल साल के शुरू में सस्ते तेल का कारण अंतर्राष्ट्रीय मंडी में कच्चे तेल में गिरावट थी , जिसका श्रेय भी मोदी सरकार ने अपने सर ले लिया था। मेहेंगाई पर कोई लगाम नहीं लगायी जा पायी है। रोज़ मर्रा का सामान भी आम इंसान की हैसियत से दूर होता जा रहा है। 





कुल मिला कर देखा जाये तो मोदी सरकार के उस विकास के गुब्बारे की हवा निकल चुकी है। देश आज भी वैसा ही है, जैसा एक साल पहले था। हमें तो ज़मीन पर कोई बदलाव नज़र नहीं आ रहा। बल्कि हालात और खराब हुए हैं। खैर , अभी तो 4 साल और बाकी हैं। मोदी जी कहते हैं की बदलाव नज़र आने में थोड़ा समय लगेगा। शायद अभी मोदी जी वो चश्मा नहीं ढूंढ पाये हैं जो हमारी आँखों पर चढ़ा कर हमें वो भारत दिखाएँ जिसकी हम कल्पना करते हैं। 4 साल और हैं मोदी जी, चश्मा बनवा लीजिये !!



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